Gopal Gupta

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याद आई

याद है मौसम सुहाना, खिल खिलाना याद है,
वो सुबह का मुस्कुराना, शब का ढलना याद है,,
आम के बौरो का खिलना ,वो ज़माना याद है,
ख़ुशबू से महकी फजाएँ, खट्टा मीठा याद है,,
वो कहानी दादी माँ की ,और पहेली ज्ञान की,,
ख़्वाब मे परियों का आना, खिलखिलाना याद ,,
पर्वतो को सेक देती, हल्की हल्की धूप वो,,
सबनम के मोतियों से ,और निखारा रूप है,
दे रहा सुकून दिल को, ये नज़ारा ज़िन्दगी,,
सुन ज़रा कहती है क्या, ठहर कर खामोशियाँ,,
देख देख तो ज़रा सा , तू ज़रा सा ज़िन्दगी,,
कूक  दे के कोयल  कहती ,तेरा आना याद है,,
खार करते हैं हिफाज़त, गुल की  मानो प्यार से,,
मेरे हाथों में चुभे थे, मुझ को चुभना याद है,,
 ऐ मुसाफ़िर लौट कर आ ,दे रही मुझ को सदा, 
पर मे लौटा घर कहाँ ,उन बुलाना याद है,,


Gopal Gupta "Gopal"

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10 Comments

kashish

03-Jul-2023 04:12 PM

nice

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Shnaya

27-Jun-2023 05:54 PM

Nice

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Madhumita

27-Jun-2023 03:59 PM

Nice one

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